
00 संगीत, कला व संस्कृति समाज तथा प्रदेश की जीवन रेखा होती है- राज्यपाल
00 राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों का किया निरीक्षण,
खैरागढ़ :–– ग्रीष्मकालीन कलात्मक शिविर का हुआ शुभारंभ।। इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में बुधवार 07 मई से शुक्रवार 16 मई तक आयोजित 10 दिवसीय ग्रीष्मकालीन कलात्मक शिविर (निःशुल्क समर कैम्प) का शुभारंभ छत्तीसगढ़ के राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति रमेन डेका ने किया।।कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो.(डाॅ.) लवली शर्मा ने की।। विशिष्ट अतिथि के रूप में संगीत विश्वविद्यालय के संस्थापक परिवार की सदस्य राजकुमारी डाॅ. उज्जवला सिंह तथा विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रेम कुमार पटेल उपस्थित रहे।।
सर्वप्रथम अतिथियों ने मां सरस्वती की प्रतिमा व राजकुमारी इंदिरा के तैलचित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर पुष्पांजलि अर्पित की।। तत्पश्चात कार्यक्रम को संबोधित करते हुये राज्यपाल एवं कुलाधिपति रमेन डेका ने कहा कि संगीत, कला व संस्कृति किसी भी समाज व प्रदेश की जीवन रेखा की तरह होती है।। उन्होंने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ इतना समृद्ध है,कि यहां रामायण काल के पहले की संस्कृति मौजूद है।। संगीत एक ऐसा माध्यम है,जो सुख में तथा दुख में सही रास्ता दिखाता है।। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का जिक्र करते हुये राज्यपाल रमेन डेका ने कहा कि इसमें बहुत स्कोप है, फाइन आर्टस के क्षेत्र में भी आप बेहतर कर सकते हैं।। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अलग-अलग विषयों पर अध्ययन-अध्यापन की सुविधा दी गई है,जिसका फायदा निश्चित रूप से विद्यार्थियों को मिलेगा।। उन्होंने कहा कि संगीत व कला से समृद्ध इस तरह का विश्वविद्यालय हमने कभी नहीं देखा।। हमारी ओर से जितना हो सके इस विश्वविद्यालय को सहयोग प्रदान करेंगे।। राज्यपाल रमेन डेका ने फाइन आर्ट की कलाओं की प्रशंसा करते हुये,कहा कि इस तरह की कला हमने पहले नहीं देखी।।छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्र में यहां की संस्कृति बसी हुई है।। उन्होंने यहां के विद्यार्थियों को संगीत व कला की बेहतर शिक्षा अर्जित करने की बात कही।। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही कुलपति प्रो.(डाॅ.) लवली शर्मा ने कहा कि राज्यपाल रमेन डेका की उपस्थिति हम सभी के लिए एक प्रेरणास्रोत है और इस विशिष्ट संस्था की सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक परंपरा को और अधिक सुदृढ़ करती है।।सन् 1956 में स्थापित, इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय एशिया का ऐसा पहला विश्वविद्यालय है,जो पूर्णतः संगीत, नृत्य, ललित कला एवं रंगमंच को समर्पित है।। आज यह विश्वविद्यालय, केवल उस विरासत को सहेज नहीं रहा है, बल्कि वैश्विक कला और संस्कृति के बदलते स्वरूप के अनुसार स्वयं को निरंतर विकसित भी कर रहा है।। हमारा यह विश्वास है,कि कला केवल एक अकादमिक विषय नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है।। हम ऐसे कलाकारों को गढ़ने का निरंतर प्रयास कर रहे हैं, जो न केवल अपनी कला में निपुण हों, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत के जागरूक संवाहक भी बनें।।कुलपति प्रोफेसर डॉ लवली शर्मा ने आगे कहा कि इस विश्वविद्यालय को ए ग्रेड दिलाना, शोध का स्तर उन्नत करना, प्रवेश से परिणाम तक पारदर्शिता व निश्चितता, स्वच्छता व आधुनिकता का संदेश तथा खुशनुमा तनाव रहित वातावरण बनाना मेरी पहली प्राथमिकता है।। इसके साथ ही उन्होंने विश्वविद्यालय में नवाचार अंतर्गत वेस्टवाटर के संरक्षण के लिये वाटर हार्वेस्टिंग, परिसर के कूड़ा करकट को एकत्रित कर खाद बनाने का प्रावधान, विश्वविद्यालय का मानचित्र दिशा-निर्देश हेतु तथा ग्रामीणों के कलात्मक विकास हेतु ग्रीष्मकालीन शिविर का आयोजन किया जा रहा है।। कुलपति ने विश्वविद्यालय की इमारतों की मरम्मत व आधुनिकीकरण के लिये लगभग पाँच करोड़ रूपये की राशि की मांग रखी।। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि संगीत विश्वविद्यालय की संस्थापक परिवार की सदस्य राजकुमारी डाॅ. उज्जवला सिंह ने सर्वप्रथम विश्वविद्यालय में कला के प्रति समर्पित कुलपति प्रो डॉ लवली शर्मा की नियुक्ति को लेकर राज्यपाल रमेन डेका का आभार व्यक्त किया।। उन्होंने आगे कहा कि इस शिविर से आप मनोरंजन के साथ ही अपनी संस्कृति को नई पीढ़ी तक हस्तांतरित कर सकते हैं।। उन्होंने राज्यपाल रमेन डेका से विभिन्न कलाओं की शिक्षा अर्जित करने वाले कलाकारों के उज्ज्वल भविष्य को लेकर उन्हें रोजगार का अवसर प्रदान करने विशेष पहल करने की बात कही।। कार्यक्रम के अंत में कुलसचिव प्रेम कुमार पटेल ने उपस्थित अतिथियों सहित अधिकारी/कर्मचारी, विद्यार्थी/शोधार्थियों का आभार व्यक्त किया।।अतिथियों के उद्बोधन पश्चात छात्रों के द्वारा गायन-वादन व नृत्य की प्रस्तुति दी गई।। एकल सितार में राग यमन की प्रस्तुति, त्रिताल में एकल तबला वादन तथा एकल शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति दी गई।। इसके पश्चात कथक विभाग के विद्यार्थियों ने कथक शास्त्रीय नृत्य की अत्यंत आकर्षक प्रस्तुति दी तथा लोक संगीत के विद्यार्थियों ने सरहुल, गेड़ी व पंथी नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी।। इस अवसर पर जिला पंचायत सदस्य व संगीत विश्वविद्यालय की संस्थापक परिवार की सदस्य राजकुमारी शताक्षी देवव्रत सिंह सहित जिला प्रशासन के अधिकारी, विश्वविद्यालय के अधिकारी-कर्मचारी, विद्यार्थी-शोधार्थी सहित शिविर में पंजीकृत बच्चों के साथ उनके पालकगण उपस्थित रहे।।
नवाचार के तहत आयोजित उक्त शिविर में लगभग 300 बच्चों ने कराया पंजीयन
नवाचार के तहत गीत, संगीत व ललित कलाओं के विस्तार के उद्देश्य से आयोजित ग्रीष्मकालीन कलात्मक शिविर में लगभग 300 बच्चों ने अपना पंजीयन कराया है।। खासकर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को गीत-संगीत व ललित कलाओं से जोड़ने इस शिविर की शुरूआत की गई है,जिसका बेहतर प्रतिसाद मिला है।। पंजीयन के दौरान लगभग 50 से 60 बच्चों के द्वारा पंजीयन कराये जाने का अनुमान था।। परंतु स्थानीय लोगों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में भी गीत, संगीत व ललित कला के प्रति रूचि देखने को मिली और उक्त शिविर का लाभ लेने लगभग 300 बच्चों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया है।। इसके साथ ही शिविर के पहले ही दिन लगभग 100 बच्चों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।। इससे स्पष्ट है कि कला के प्रति आज भी लोगों में रूचि बनी हुई है।।
यतेन्द्र जीत सिंह “छोटू”, पी न्यूज़ ब्यूरो चीफ, खैरागढ़ -छुईखदान-गंडई जिला।।09425566035,06264569376..