
खैरागढ़ :– इंदिरा कला संगीत विवि आडिटोरियम मे आयोजित कार्यक्रम में देश की प्रथम शिक्षिका सावित्रीबाई फुले के जीवन संघर्श और कार्यों को याद किया गया।। कार्यक्रम में शिक्षा, समाज सेवा और महिला सशक्तिकरण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर अतिथियो सहित वक्ताओ ने विस्तार से चर्चा की।। पूनम सुरेखा गोपाल ने कार्यक्रम की रूपरेखा से अवगत कराया। शैक्षिक प्रगतिशील मंच के संयोजक नीलेश कुमार यादव ने कहां की प्रतिवर्ष माता सावित्रीबाई फुले जयंती के उपलक्ष में कार्यक्रम इस उद्देश्य से कराया जाता है की प्रथम महिला शिक्षिका के आदर्श व संघर्ष को याद कर समाज के महिलाओं की शिक्षा को बल देने प्रयास किया जा रहा है,
एडीएम प्रेमकुमार पटेल ने कहा कि वर्तमान परिवेश मे हमे सावित्री बाई फुले की पूजा आराधना से बचते हुए उनके विचारो और जीवन संघर्ष से प्रेरणा लेना होगा।।
एसडीएम टंकेश्वर प्रसाद साहू ने शिक्षा के क्षेत्र मे किए उनके कार्यो व योगदान की जानकारी देते हुए कहा कि जननी से जिस तरह सृष्टि का जन्म हुआ उसी तरह सावित्री बाई फुले के अथक प्रयासो से महिला शिक्षा को बल मिला।।सुनीति पैंकरा ने छात्र जीवन मे आने वाली मुश्किलों और उसके समाधान के लिए रास्ता सुझाया।। गीतकार डॉ. जीवन यदुराही ने मेहनत और शिक्षा के महत्व पर जोर दिया।। जीपी साहू ने समाज की खराब स्थिति सुधारने के लिए शिक्षा की आवश्यकता और महत्व पर बल दिया।। देश की प्रथम शिक्षिका सावित्रीबाई फुले के विचारों को जन जन तक पहुंचाने और समाज में शिक्षा के साथ साथ महिला सशक्तिकरण के महत्व को रेखांकित करने के लिए शैक्षिक प्रगतिशील मंच द्वारा आयोजित कार्यक्रम मे विभिन्न क्षेत्रो मे उत्कृष्ट कार्य करने वालो बोधन जोशी, इंदिरा चंद्रवंशी, रविंद्र मेहरा, जयश्री ताम्रकार, दिलीप रजक, शक्ति सिंह, अनिल शर्मा, जितेंद्र सिंह गौर, उपेंद्र वर्मा, जिधन साहू, महेंद्र पटेल, डॉ. नागेश सिमकर, सुनील कुमार शर्मा, दिलीप रजक, खिलेन्द्र नामदेव, सुभाष चावड़ा, बैद्यनाथ वर्मा, भागवत साहू, दीनानाथ लिल्हारे और टोडर सिंह को सम्मानित किया गया।।डॉ नागेश बंछोर ने शिक्षा और सावित्रीबाई फुले के जीवन पर अपना विचार साझा करते हुए छात्र छात्राओ को प्रेरित किया।। सावित्रीबाई फुले ने ऐसे समय में जब महिलाओं को शिक्षा का अधिकार नहीं था, तब उन्होंने सभी समाज के महिलाओं के लिए स्कूल खोले और उन्हें शिक्षित किया।। उन्होंने छुआछूत, बाल विवाह जैसी कुरीतियों का विरोध किया और समाज में समानता लाने का प्रयास किया।। उन्होंने कई प्रेरक कविताएं लिखीं जो आज भी प्रासंगिक हैं। फातिमा शेख के द्वारा स्कूल खोलने के लिए अपने घर को दिया जिससे पहेली बालिका स्कूल 1848 मे माता सावित्री फुले के द्वारा खोला गया. जो इस देश मे प्रथम महिला शिक्षिका के रूप मे माना जाता है।। बंछोर के द्वारा वर्तमान मे शिक्षा एवं व्यवसाय को बल देने के लिए अंग्रेजी शिक्षा अंतर्राष्ट्रीय भाषा को सीखने पर जोर दिया क्योंकि आजकल सभी जगहों पर अंग्रेजी अनिवार्य सा लगता है वर्तमान शिक्षा पद्धति को व्यवसाय आधारित बनाने वा उच्च शिक्षा को छात्रों के परिश्रम वा चयन के आधार पर प्रदान करने के लिए नियम बनाये.
इस दौरान शैक्षिक प्रगतिशील मंच के अनिल साहू, भोला साहू, फूलदास साहू, मनोज पटेल, मनोज जंघेल, पोषन साहू, महेन्द्र साहू, संतोषी सलामे, गोपाल सोनी, कुणाल भंसाली, भूषण सिन्हा, विक्की सिन्हा, किशन साहू सहित अन्य मौजूद थे।।
यतेन्द्र जीत सिंह “छोटू”, पी.न्यूज़, ब्यूरो चीफ, खैरागढ़ -छुईखदान-गंडई जिला।।09425566035,06264569376..