
खैरागढ़ :– भारत रंग महोत्सव के दूसरे दिन हयवदन तथा तीसरे दिन मंगरी नाटक की प्रस्तुति ने दर्शकों के बीच समा बांध दिया।। यह नाट्य प्रस्तुति बंगला व असमीस भाषा में हुई।।अन्य भाषा में नाट्य प्रस्तुति होने के बाद भी दोनों ही दिन दर्शकों की भीड़ बनी रही।। रंग महोत्सव के दूसरे दिन बंगला भाषा में हयवदन नाटक की प्रस्तुति दी गई जिसके लेखक गिरीश कर्नाड हैं।। नाटक के निर्देशक श्री देवेश चट्टोपाध्याय रहे।।
हयवदन एक कालातीत कहानी है,जो मानव स्वभाव की जटिलताओं, पहचान की तलाश और सामाजिक अपेक्षाओं की खोज करती है।। यह नाटक दो दोस्तों की कहानी है जो एक ही महिला से प्यार करते हैं और गलती से उनके सिर बदल जाते हैं।।यह एक घोड़े के सिर वाले व्यक्ति की कहानी भी बताती है जो इंसान बनना चाहता है। यह इस विचार पर आधारित है कि मनुष्य अपूर्ण है और इसलिये उसकी कई सीमाएं हैं। यह नाटक महिला मुक्ति से भी संबंधित है।
मंगरी नाटक में असम की महिला स्वतंत्रता सेनानी की कहानी
रंग महोत्सव के तीसरे दिन असम की पहली महिला स्वतंत्रता सेनानी मंगरी ओरंग पर आधारित नाटक का मंचन किया गया। असमीस भाषा में हुई नाट्य प्रस्तुति ने खूब तालियां बटोरी। मंगरी भारत के आजादी के आंदोलन की पहली शहीद महिला थीं। वे आरंग सहयोग आंदोलन में अफीम के विरोधी अभियान की अग्रणी सदस्य थी। साल 1921 में शराबबंदी अभियान में स्वयंसेवकों का समर्थन करने के लिए उन्हें ट्रांग जिले के लाल माटी में ब्रिटिश सुरक्षा बलों ने मार डाला था। कार्यक्रम में जिला सत्र न्यायाधीश चंद्र कुमार कश्यप एवं कुलसचिव प्रेम कुमार पटेल सहित अतिथिगण उपस्थित रहे।।
यतेन्द्र जीत सिंह “छोटू”, पी न्यूज़ ब्यूरो चीफ, खैरागढ़ -छुईखदान-गंडई जिला।।09425566035,06264569376..