
00 यह मंदिर खैरागढ़ ब्लाक के डोंगरगढ़ विधानसभा क्षेत्र के कोपेनवांगाव के जंगल में विराजमान हैं , 00 रायपुर, भिलाई, दुर्ग से जलाए ज्योत, मां के दरबार में 87 जोत हो रहे प्रज्वलित,
00 वनांचल की खुबसूरत वादियो में बसा विंध्यवासिनी मां,
00 अष्टमी में माता का होगा विशेष सिंगार ,
00 3 इंच की मुर्ति अब हो गई 1 फीट स्वयं ले रहा देवी का आकार,
00 5 फीट के कुंड में हमेशा रहता है पानी,
खैरागढ़ :– चमत्कार शब्द सुनकर लोगो को हंसी आ जाएगी की आज के युग मे चमत्कार होते है, लेकिन मां विंध्यवासिनी के दरबार चमत्कार से कम नही है।। मां विंध्यवासिनी केसीजी जिले के खैरागढ़ ब्लाॅक के ग्राम पंचायत परसाही के अश्रित ग्राम कोपेनवागांव के जंगल मे विराजमान है ।। यह मंदिर खुबसूरत जंगलो से घिरा हुआ जो भक्त को अधिक आकर्षित करता है।। यहां पर 24-25 वर्षो से अखण्ड़ ज्योति कलश प्रज्ज्वलित किया जा रहा है।। नवरात्र के दोनो पक्ष (चैत्र व कुंवार) में रायपुर, दुर्ग, भिलाई, नागपुर सहित ग्राम कोपेनवागांव के आस-पास के ग्रामीण अपनी मनोकमना पूर्ण करने जोत प्रज्वलित करते है।। विंध्वासिनी मां के दरबार मे इस नवरात्र के पर्व मे 87 ज्योति प्रज्वलित हो रहे है।। यहां पंचमी और अष्टमी पर मां का विशेष श्रृंगार किया जाता हैं।। ग्रामीणो के द्वारा रात मे जस गीत गाया जाता हैं। ग्रामीण सुबह-शाम माता के दर्शन करने जाते है।। यह मंदिर घने जंगल में होने के बावजूद यहां ग्रामीणो के अलावा अन्य गांव के भक्तो का भी तांता लगा रहता है।।
शिव, पंचमुखी हनुमान सहित अन्य देवी देवता की स्थापना
ग्रामीणो ने संतो के मार्गदर्शन मे कुड़ के पास भागवान शिव व विंध्यवासिनी माता की मंदिर के पास पंचमुखी हनुमान, सिद्ध गणेश, भैरव नाथ, गोरखनाथ, मछन्दर नाथ सहित अन्य देवी-देवता की मूर्ति स्थापना की गई है।। सचिव घनश्याम वर्मा ने बताया की
यह स्थान पहले बेन्दर चुआ के नाम से जाना जाता था पहले जंगल में मवेशी चराने के लिए आते थे तब कुछ पशु पालक का मवेशी गुम हो जाते थे तब इस स्थान पर नारियल और आगरबत्ती जलाने से गुम हुए मवेशी तुरंत वापस आ जाते थे। यह पूवर्जो के समय से ही पूजा-पाठ की जा रही है।।
कुंड़ के पानी कभी नहीं होता खत्म, लगातार बह रहा
इस घने जंगल के बीच एक कुंड है,जो सिर्फ 4-5 फीट ही गहरा है और वह हमेशा बहता रहता है।। इस कुंड का पानी कभी भी खत्म नही होता है और इस कुंड के पानी के संबंध में ऐसी मान्यता है,कि इस पानी को पानी पीने के बाद शरीर के रोग दूर हो जाते है।। यह पानी कहा से आ रहा है, यह ग्रामीणो की समझ से परे है।। पुजारी और ग्रामीणो की माने तो उक्त दुलर्भ स्थान की खोज भागवान गोरखनाथ ने की थी ।।
जहां पर एक छोटा सा चमकीला पत्थर प्राप्त हुआ था।। जो सिर्फ 2 से 3 इंच ही था जो आज के समय में करीबन 1 फीट हो गया है।।यह पत्थर त्रिकोण आकार में था जो आज अपने आप स्वयं आंख, नाक, मुंह हु-ब-हु देवी की मूर्त का रूप ले लिया है।।
देवी का दर्शन करने पैदल करना पड़ता सफर
इस मंदिर जाने के लिए 3 प्रमुख रास्ते ह, जिसमें पहला रास्ता भंड़ारपुर से परसाही होते हुए कोपेनावागांव जाके 3 किमी कच्ची रोड़ में चलना पड़ता है तब जाकर माता रानी के दर्शन होते है।। वही दूसरा रास्ता करेला भावानी माता के दर्शन करते हुए बनबोड़ हाते हुए कोपेनवागांव पहुंचना पड़ता है।।तीसरा रास्ता मुढ़ीपार से होते हुए कोपेनवागांव पहुंचता है। । यहां देवी के दर्शन करने बोल्डर (छोटे-छोटे पत्थर) भरे जंगल के रास्ते मे गुजरना पड़ता है।। इस रास्ते को कांक्रीटीकरण करने ग्रामीण नेताओं से मांग कर चुके है, लेकिन हर बार नेता मांग को अनसुना कर देते है।। मंदिर समिति के सचिव घनश्याम वर्मा ने बताया की डोंगरगढ़ के पूर्व विधायक विनोद खांडेकर ने बिजली की व्यवस्था की थी।। उसके बाद वही पूर्व विधायक सरोजनी बंजारे और भुवनेश्वर बघेल ने 200-200 मीटर कांक्रीटीकरण करने रूपए दिए थे । लेकिन 3 किमी रास्ते में सिर्फ 400 मीटर रास्ते ही कांक्रीटीकरण हुआ है।। बाकी रास्ते को कांक्रीटीकरण करने मांग नेताओ से कर चुके है, लेकिन कोई इसे पूर्ण नही कर रहा है।। कच्चे रास्ते से मंदिर आने में कई बार भक्त गिरने से चोटिल हो जाते है।।
2012 में नागा साधु ने किया था यज्ञ
ग्रामीणो के मदद से वर्ष 2012 में नागा साधु द्वारा यज्ञ किया गया था।। जिसमे आस-पास के ग्रामीण भारी संख्या में उपास्थित थे और राशन सहित समान के सहयोग प्रदान किया गया था।। नांगा साधु ने इस स्थान को पवित्र स्थान मानकर अपने अखाड़े से एक साधु को देवी का सेवा करने भेजा था।।जो पछले वर्ष तक सेवा किया,उसके जाने के बाद यह मुढ़ीपार के तेजेश्वर कुमार वैष्णव और जोगी दास जो जूना अखाड़ा के संत भी है, उनके द्वारा लगातार सेवा किया जा रहा है।।
पढ़ी पानी का भी अद्भूत रहस्य
विंध्यवासिनी मंदिर से आधा किमी दूर *पढ़ी पानी का कुंड है* जहां पार शिव भागवान के त्रिशुल व शिव लिंग की स्थापना की गई है।। यह कुंड से दूध की तरह सफेद पानी बहता रहता है, जो भक्तो के लिए आकर्षण का केन्द्र बना रहता है , यहां भी कुंड में सालभर पानी रहता है।।
तनाव को मुक्त करता है यह स्थान
जूना अखाडे़ के संत जोगी दास ने इस स्थान को तपोवन बताते हुए कहा की इस स्थान पर कोई कितना भी तनाव मे आए इस स्थान में आने के बाद तनाव मुक्त हो जाते है।।यह के पानी से नहने पर भी सारे रोग दूर हो जाते है।।
यतेंद्रजीत सिंह”छोटू”, ब्यूरो चीफ पी. न्यूज खैरागढ़ छुईखदान गंडई।। मोबा.नं. 09425566035,06264569376..